सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सीआरपीसी की धारा 438 (अग्रिम जमानत (गिरफ्तारी से संरक्षण)) में कोर्ट पर यह शर्त नहीं है कि वह अग्रिम जमानत देते वक्त समयसीमा तय करे। या फिर उसमें एफआईआर दर्ज होने अथवा पुलिस की जांच में गवाहों के बयान दर्ज होने आदि की शर्त हो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अग्रिम जमानत देते वक्त कोर्ट अपराधी की प्रकृति, अभियुक्त की भूमिका और उसके जांच प्रभावित करने अथवा उससे छेड़छाड़ करने की संभावनाओं या फिर अभियुक्त के देश छोड़ कर भागने की संभावना पर विचार करेगा। कोर्ट प्रत्येक मामले को देखते हुए और जांच एजेंसी द्वारा मुहैया समाग्री के आधार पर केस टु केस कोई भी शर्त लगा सकता है लेकिन कोर्ट रुटीन के तौर पर हर मामले में हमेशा ऐसा नहीं कर सकता।
कोर्ट पर यह शर्त नहीं है कि वह अग्रिम जमानत देते वक्त समयसीमा तय करे